आज इस लेख में हम “दीनानाथ मेरी बात भजन लिरिक्स” के बारे में बात करेंगे। यह भजन भगवान श्री कृष्ण के ही स्वरुप माने जाने वाले खाटूश्याम जी की स्तुति तथा उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाने के लिए गाया जाता है।
दीनानाथ शब्द भगवान श्री कृष्ण के ही अन्य नामों में से एक है। जिसका अर्थ “दीनो के नाथ” या “गरीबों के स्वामी” होता है। इस भजन के माध्यम से भक्त खाटूश्याम जी से प्रार्थना करते हुए यह व्यक्त करते है कि उनका यह भजन ही आत्मा की शांति तथा मोक्ष का मार्ग है।
इस भजन “दीनानाथ मेरी बात भजन” में बताया गया है कि भगवान की भक्ति व भजन करने का अवसर भी केवल भगवान की कृपा से ही प्राप्त होता है। इस भजन को गाने से भक्तों को खाटूश्याम जी की असीम कृपा प्राप्त होती है, तो आइये गान करते है खाटूश्याम जी के इस प्रसिद्ध भजन का।
Dinanath Mere Baat Lyrics in Hindi
|| दीनानाथ मेरी बात भजन ||
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से।
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
खाटू वाले श्याम तेरी शरण में आ गयो।
श्याम प्रभु रूप तेरो नैणां में समां गयो।
बिसरावे मत बाबा,
हार मानी तेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
बालक हूँ मैं तेरो श्याम,
मुझको निभायले।
दुखड़े को मारयो मन,
कालजे लगायले।
पथ दिखलादे बाबा,
काढ़ दे अँधेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
मुरली अधर पे,
कदम तल झूमे हैं।
भक्त खड़ा तेरे चरणां ने चूमे हैं।
खाली हाथ बोल कया,
जाऊ तेरे-नेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से।
आँखड़ली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
खाओ हो थे खीर चूरमो लीले ऊपर घूमो हो।
सेवका न बाबा थे क़द्दे ही कोनी भूलो हो।
टाबरियाँ की झोली भर भेजो थारे डेरे से।
आँखडली चुरा के बाबा जासी कठे मेरे से।।
दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोनी तेरे से।
आँखडली चुराकर बाबा,
जासी कठे मेरे से।।
Dinanath Mere Baat Lyrics in English – दीनानाथ मेरी बात,
छानी कोनी तेरे से।
|| Dinanath Mere Baat Bhajan ||
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Khaatu wale Shyam teri sharan mein aa gayo।
Shyam Prabhu roop tero naina mein samaan gayo।
Bisraave mat Baba,
Haar maani tere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।
Baalak hoon main tero Shyam,
Mujhko nibhaayle।
Dukhde ko maarayo man,
Kaaleje lagaayle।।
Path dikhlaade Baba,
Kaadh de andhere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Murli adhar pe,
Kadam tal jhoome hain।
Bhakt khada tere charna ne choome hain।
Khaali haath bol kya,
Jaaun tere-nere se।।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
Khao ho the kheer choormo leele upar ghoomo ho।
Sevka na Baba the kadde hi koni bhoolo ho।
Taabariya ki jholi bhar bhejo thare dere se।
Aankhadli chura ke Baba, jaasi kathe mere se।
Deenanath meri baat,
Chhaani koni tere se।
Aankhadli churaakar Baba,
Jaasi kathe mere se।।
निष्कर्ष
“दीनानाथ मेरे बात” केवल एक भजन नहीं है, यह एक आत्मा की पुकार है—एक ऐसी पुकार जो शब्दों से अधिक भावों से बोली जाती है। इसमें छिपी दीनता, करुणा और श्रद्धा से ईश्वर और भक्त के बीच का वह सूक्ष्म, मगर अटूट संबंध प्रकट होता है जो किसी औपचारिक भाषा का मोहताज नहीं होता।
यह गीत भक्ति परंपरा की उस परिपक्वता का प्रतीक है जहाँ भक्त ईश्वर के सामने अपनी कमजोरियों के साथ खड़ा होता है, निडर होकर, प्रेम से भरा हुआ। यही दृष्टिकोण इसे धार्मिक भजन से ऊपर उठाकर एक मानवीय अभिव्यक्ति बना देता है।
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