Janeu Mantra Lyrics in Hindi: जनेऊ मंत्र हिंदी में - Northindianpandits

हिंदू धर्म में हर संस्कार का अपना अलग महत्व है, और उनमें से एक है जनेऊ संस्कार। इसका उपनयन संस्कार भी कहा जाता है। इस संस्कार के समय बच्चे को जनेऊ धारण कराया जाता है, जो सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि धार्मिक जिम्मेदारियां और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।

इस प्रक्रिया में विशेष रूप से कुछ मंत्र बोलते हैं, जैसे Janeu Mantra कहा जाता है। जनेऊ मंत्र बच्चे को धर्म, ज्ञान और अपनी ज़िम्मेदारियां के प्रति जागरूक करता है।

ये मंत्र आत्म-अनुशासन, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति विकसित करता है। हिंदू परंपरा में माना जाता है कि जनेऊ संस्कार के बिना जीवन अधूरा है, क्योंकि ये बच्चे को धार्मिक और आध्यात्मिक पथ पर मार्गदर्शन करता है।

जब कोई इंसान जनेऊ धारण करता है और Janeu Mantra का जाप करता है, तो वह अपने जीवन में शुद्ध विचार, ज़िम्मेदारियां और आंतरिक शक्ति को स्वीकार करता है। ये मंत्र ना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि जीवन में सही दिशा दिखाता है।

जनेऊ क्या होता है?

जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग़ में आता है एक धागा, लेकिन जनेऊ सिर्फ धागा नहीं है। ये एक प्रतीक है – धर्म, ज्ञान और जिम्मेदारियों का

हिंदू धर्म में जनेऊ को उपनयन संस्कार के समय पहचाना जाता है, जिसे यज्ञोपवीत, व्रतबंध या ब्रह्मसूत्र भी कहा जाता है। जनेऊ धारण करने वाले को “द्विज” माना जाता है, यानि दूसरा जन्म मिलता है – मतलब अब बच्चा धर्म, ज्ञान और अपनी ज़िम्मेदारियाँ के लिए तैयार है।

जनेऊ मंत्र

जनेऊ धारण करते समय कुछ विशेष मंत्र बोलते हैं, जिन्हें जनेऊ मंत्र कहते हैं। ये मंत्र बच्चे के अंदर आत्म-अनुशासन, आध्यात्मिक शक्ति और नैतिक जिम्मेदारी को विकसित करते हैं।

केवल तीन वर्णो – ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के पुरुष ही जनेऊ धारण कर सकते हैं, और जो लड़कियाँ ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहती हैं, वो भी जनेऊ धारण कर सकती हैं।

जनेऊ के 3 या 6 धागे होते हैं – ब्रह्मचारी 3 धागे पहनते हैं और विवाहित 6 धागे। ये धागे सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में सही दिशा और धार्मिक पथ की पहचान है।

Janeu Mantra in Hindi – जनेऊ मंत्र

जनेऊ धारण के समय जो सबसे महत्वपूर्ण होता है, वो है Janeu Mantra / जनेऊ मंत्र। ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्की एक दिव्य मार्गदर्शन है जो बच्चे के मन, शरीर और आत्मा को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत बनाता है। जब बच्चा जनेऊ पहनता है, तब पंडित के साथ ये मंत्र बोलता है, ताकि बच्चे के अंदर धर्म और ज्ञान का विकास हो।

Also Read: Gayatri Mantra in Hindi: गायत्री मंत्र का अर्थ, लाभ और महत्व

जनेऊ धारण मंत्र

ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतैरत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।

1. मुख्य जनेऊ मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः।
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

2. यज्ञोपवीत धारण मंत्र

ॐ उपनयनेन देहं शुद्धं कुरु।
ॐ उपवीतधारणं ममात्मने स्वीकृतम्।।

3. गायत्री मंत्र (वैकल्पिक)

ॐ भूर् भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।।

जनेऊ मंत्र का अर्थ (Meaning of Janeu Mantra)

जनेऊ धारण मंत्र

ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतैरत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।

अर्थ: जनेऊ/यज्ञोपवीत सबसे पवित्र चीज़ है।
इसे प्रजापति ने स्वाभाविक रूप से बनाया।
ये मंत्र आयुष्य (लंबी आयु), शक्ति, तेज और शुभता प्रदान करता है।
जो इसे धारण करता है, वह धर्म, ज्ञान और आध्यात्मिक जीवन के पथ पर आगे बढ़ता है।

1. मुख्य जनेऊ मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः।
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

अर्थ: हम त्रिनेत्र धारी भगवान शिव की पूजा करते हैं।
ये मंत्र शक्ति, स्वास्थ्य और जीवन विकास के लिए है।
जैसा खरबूजा बेल से अलग होकर फल देता है, वैसा ही ये मंत्र मारन और बुरी शक्तियों से मुक्ति देता है।
क्या मंत्र के जाप से मन, शरीर और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

2. यज्ञोपवीत धारण मंत्र

ॐ उपन्यानेन देहं शुद्धं कुरु।
ॐ उपवीतधारणं ममात्मने व्याख्याम्।।

अर्थ: ये मंत्र बच्चे के शरीर और मन को शुद्ध करने का संकेत है।
इसे बच्चा धर्म, ज्ञान और यज्ञ जैसे आध्यात्मिक कर्तव्य के लिए तैयार होने का संकेत है।
उपनयन (जनेऊ धारण) के बाद बच्चा अपना आध्यात्मिक और धार्मिक जीवन शुरू करता है।

3. गायत्री मंत्र (वैकल्पिक)

ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात्।।

अर्थ: ये मंत्र ज्ञान, बुद्धि और बुद्धि को बढ़ाता है।
भगवान सूर्य की प्रेरणा और प्रकाश से मन और बुद्धि बढ़ती है।
बच्चा इस मंत्र के माध्यम से अपने जीवन में सही दिशा और आध्यात्मिक मार्ग समझता है।

जनेऊ धारण करने के नियम

जनेऊ धारण करना सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक अनुशासित और जिम्मेदार जीवन की शुरुआत है। इसके कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं जो ध्यान में रखना जरूरी है:

जनेऊ मंत्र

1.शुद्धता का पालन:

  • जनेऊ धारण करने से पहले शरीर और मन दोनों को शुद्ध करना जरूरी है।
  • नहाना और साफ कपड़े पहनना अनिवार्य है।

2. धार्मिक कार्य:

  • जनेऊ धारण करने के बाद बच्चों को यज्ञ, साफ़ और पूजा में सक्रिय रूप से भाग लेना होता है।
  • धार्मिक और नैतिक कर्तव्यों का पालन करना जरूरी है।

3. ब्रह्मचर्य और अनुशासन:

  • ब्रह्मचारी 3 धागे वाली जनेऊ पहनते है और विवाहित 6 धागे वाले।
  • जीवन में अनुशासन और आत्म-नियंत्रण बनाए रखना एक नियम है।

4. जनेऊ को उचित तरीके से धारण करना:

  • जनेऊ हमेशा बाएं कंधे से दाएं कंधे के ऊपर से पास करके पहना जाता है।
  • धागा कभी भी लचक या ढीला नहीं होना चाहिए।

5. मंत्र जाप:

  • जनेऊ धारण के समय Janeu Mantra / जनेऊ मंत्र का जाप करना अनिवार्य है।
  • ये मंत्र आध्यात्मिक विकास और सकारात्मक ऊर्जा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

6. सम्मान और देखभाल:

  • जनेऊ को अनादर या लापरवाही तरीके से नहीं पहचानना चाहिए।
  • इसे पहने वक्त और बाद में भी धर्म और ज्ञान के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए।

जनेऊ मंत्र जाप के लाभ

हिंदू परंपराओं और अनुष्ठानों में जनेऊ मंत्र का अत्यंत पवित्र स्थान है। उपनयन संस्कार के दौरान इसका जाप किया जाता है, जो पवित्रता, अनुशासन और आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है।

ऐसा माना जाता है कि Janeu Mantra का जाप व्यक्ति को दिव्य ऊर्जाओं से जोड़ता है, उन्हें ज्ञान, धार्मिकता और आत्म-संयम की ओर ले जाता है। यह केवल एक अनुष्ठानिक जाप ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अभ्यास भी है जो मन और आत्मा का उत्थान करता है।

Also Read: Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

जनेऊ मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक विकास – जनेऊ मंत्र का जाप आंतरिक आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देता है।
  2. मानसिक शांति – यह मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद करता है, जिससे विचारों में स्पष्टता आती है।
  3. अनुशासन और एकाग्रता – यह मंत्र दैनिक जीवन में आत्म-संयम, एकाग्रता और समर्पण की प्रेरणा देता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा – नियमित जाप से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है और एक सुरक्षात्मक आभामंडल का निर्माण होता है।
  5. सांस्कृतिक महत्व – यह प्राचीन वैदिक परंपराओं और मूल्यों के साथ व्यक्ति के जुड़ाव को मजबूत करता है।
  6. नैतिक शक्ति – धार्मिक जीवन, सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण को प्रोत्साहित करती है।

निष्कर्ष

जनेऊ मंत्र हिंदू आध्यात्मिक साधना में एक शाश्वत स्थान रखता है, जो पवित्रता, अनुशासन और दिव्य ज्ञान से गहन जुड़ाव का प्रतीक है। जनेऊ धारण करते समय इस पवित्र मंत्र का जाप न केवल व्यक्ति को उसकी धार्मिक ज़िम्मेदारियों की याद दिलाता है, बल्कि उसे आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान करता है।

पीढ़ियों से, जनेऊ अनुष्ठान (कार्य, पूजा पाठ) और मंत्र परंपरा और वर्तमान जीवन के बीच एक सेतु का काम करते रहे हैं, और सांसारिक कर्तव्यों को आध्यात्मिक विकास के साथ संतुलित करने का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

यह अभ्यास धैर्य, विनम्रता और भक्ति जैसे गुणों का संचार करता है, जिससे धारणकर्ता परिवार, समाज और ईश्वर के प्रति अपने कार्यों और ज़िम्मेदारियों के प्रति अधिक जागरूक होता है।

आज की भागदौड़ से भरी दुनिया में, Janeu Mantra का प्रभाव बना हुआ है, क्योंकि यह मानसिक सरलता, भावनात्मक संतुलन और आध्यात्मिक आधार प्रदान करता है। इस मंत्र को अपनाकर, व्यक्ति केवल एक कार्य का पालन नहीं करता, बल्कि ज्ञान और सत्य पर सम्बंधित जीवन के तरीके का चुनाव करता है।

Post navigation

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

जनेऊ मंत्र क्या है?
जनेऊ मंत्र एक पवित्र वैदिक मंत्र है जिसका जाप उपनयन संस्कार के दौरान किया जाता है। यह पवित्रता, अनुशासन और धर्म के प्रति आजीवन प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
हिंदू धर्म में जनेऊ मंत्र का महत्व क्यों है?
जनेऊ मंत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति के आध्यात्मिक पुनर्जन्म का प्रतीक है और उसे ज्ञान, उत्तरदायित्व और धार्मिक जीवन की ओर मार्गदर्शन करता है।
जनेऊ मंत्र का जाप कौन कर सकता है?
परंपरागत रूप से, जनेऊ मंत्र का जाप ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जनेऊ संस्कार के बाद करते हैं, लेकिन इसका अनुशासन और पवित्रता का सार सार्वभौमिक है।
जनेऊ मंत्र का जाप कब करना चाहिए?
आध्यात्मिक अनुशासन बनाए रखने के लिए जनेऊ मंत्र का जाप प्रतिदिन, विशेष रूप से प्रातःकालीन प्रार्थना, संध्या वंदना और अन्य पवित्र अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है।
जनेऊ मंत्र के जाप के क्या लाभ हैं?
जनेऊ मंत्र का जाप मानसिक स्पष्टता, आध्यात्मिक शक्ति, विचारों की शुद्धता और दिव्य ऊर्जाओं के साथ गहरा संबंध स्थापित करता है।
क्या जनेऊ मंत्र गायत्री मंत्र से जुड़ा है?
हाँ, जनेऊ संस्कार के दौरान, जनेऊ मंत्र के बाद अक्सर गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है, क्योंकि दोनों आध्यात्मिक विकास और आत्म-साक्षात्कार के लिए आवश्यक हैं।
क्या महिलाएँ जनेऊ मंत्र का जाप कर सकती हैं?
परंपरागत रूप से, महिलाएँ जनेऊ संस्कार नहीं करतीं, लेकिन वर्तमान समय में, कई लोग मानते हैं कि महिलाएँ भी जनेऊ मंत्र के ज्ञान और मूल्यों को अपना सकती हैं।
Loading...

Book a Pandit

Select Service keyboard_arrow_down
Rudrabhishek Puja
Krishna Janmashtami Puja
Hanuman Janmotsav Puja
Ram Navami Puja
Santan Gopal Mantra Jaap
Annaprashan Puja
Shuddhikaran Puja
Gayatri Mantra Jaap
Vishwakarma Puja
Akshaya Tritiya Puja
Mahamrityunjay Jaap
Hanuman Chalisa Path
Navratri Puja
Sunderkand Path
Holika Puja
Satyanarayan Puja
Mangal Bhat Puja
Marriage Puja
Saraswati Puja
Griha Pravesh Puja
Kaal Sarp Dosh Puja
Namkaran Puja
Navagraha Shanti Puja
Diwali Puja
Dhanteras Puja
Govardhan Puja
Office Opening Puja
Mahalakshmi Puja
Durga Puja
Marriage Anniversary Puja
Pind Daan Puja
Pitru Paksha Shradh Puja
Pitru Dosh Puja
Varshika Shraddha Puja
Bharani Shraddha Puja
Godh Bharai (Baby Shower) Ceremony
Kuber Upasana Puja
Rin Mukti Puja
Tripindi Shradh Puja
Ganesh Chaturthi Puja
Angarak Dosh Puja
Online E-Puja Service
Antim Sanskar
Birthday Puja
Engagement Puja
Shiv Puran Puja
Narayan Bali Puja
Gand Mool Nakshatra Puja
Bhoomi Puja
Others
Select Language keyboard_arrow_down
Hindi
English
Marathi
Kannad
Tamil
Rajasthani
Odia
Bengali
Telugu
Other
Select Country keyboard_arrow_down
Select State keyboard_arrow_down
Select City keyboard_arrow_down