Kaal Bhairav Kavach in Hindi - भैरव कवच: पाठ विधि, लाभ और महत्व

भैरव कवच: हिंदू धर्म में काल भैरव को बटुक भैरव या भैरव के नाम से भी जाना जाता है। ये भगवान शिव का ही एक रूप होते हैं जो रक्षा और शक्ति के देवता माने जाते हैं।

काल भैरव जी के दर्शन और उनका स्मरण करने से इंसान की जिंदगी में नकारात्मकता, भूत-प्रेत, दुख-दर्द और अनेक प्रकार की परेशानियाँ दूर होती हैं। इसी तरह उनका एक पवित्र स्तोत्र है “भैरव कवच”, जो एक दिव्य ढाल की तरह काम करता है।

“भैरव कवच” का पाठ करने से आत्मा को शांति मिलती है, मन में हिम्मत आती है और हर प्रकार से रक्षा होती है। इस कवच को कवच इसलिए कहा गया है क्योंकि ये एक सुरक्षा परत है, भक्त के आस-पास सकारात्मकता बनती है।

कई लोग इसे अपनी दैनिक साधना का हिस्सा बनाते हैं, और कुछ लोग खास समय पर इसे पढ़ते हैं जैसे शनि की साढ़े साती, किसी बड़े काम की शुरुआत या जीवन के मुश्किल व समय में।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि भैरव कवच क्या है, इसका पाठ कैसा होता है, क्या फायदे मिलते हैं और किन नियमों का पालन करना चाहिए आदि।

भैरव/काल भैरव कौन है?

काल भैरव, भगवान शिव का ही एक रूप है जिनको “रक्षा और न्याय के देवता” कहा जाता है। “काल” का मतलब होता है समय और “भैरव” का मतलब होता है भय को डराने या मिटाने वाले। मतलब जो भय (डर), पाप, दुःख और अँधेरें को मिटा दे, वही हैं काल भैरव।

पुराणों के अनुसर जब ब्रह्मा जी ने शिव जी की निंदा की थी, तब शिव जी ने अपने क्रोध से भैरव रूप धारण किया और ब्रह्मा जी का एक सिरा (सर का हिसा) को अलग कर दिया।

उस घटना के बाद शिव जी का ये रूप “काल भैरव” के नाम से जाना जाता है। इस वजह से उन्हें न्याय का देवता भी मना जाता है जो पाप करने वालों को जल्द से जल्द दंड देते हैं।

काल भैरव को आम तौर पर काले कुत्ते का स्वामी भी माना जाता है। उनकी सवारी भी कुत्ता ही होती है. इसी के लिए भैरव जी के मंदिर के बाहर लोग काले कुत्ते को रोटी, दूध या प्रसाद खिलाते हैं।

भैरव जी को शक्ति का रक्षक माना जाता है। कहा जाता है कि जब भी कोई भक्त उनका स्मरण करता है तो भैरव जी उसके आस-पास एक सुरक्षा कवच बना देते हैं और बुरी ऊर्जाओं को दूर कर देते हैं।

काल भैरव के 8 रूप (अष्ट भैरव) होते हैं जो अलग-अलग दिशाओं के रक्षक कहलाते हैं। इनमें “बटुक भैरव” सबसे लोकप्रिय रूप है जिसे बच्चा रूप में पूजा जाता है। इस तरह काल भैरव को शिव का वीर रूप माना जाता है जो हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

भैरव कवच क्या होता है?

“भैरव कवच” एक ऐसा पवित्र स्तोत्र है जो भगवान काल भैरव को समर्पित है। जैसा एक सैनिक अपनी सुरक्षा के लिए कवच पहनता है, वैसे ही ये पाठ भक्त को आध्यात्मिक सुरक्षा देता है।

इसमे भैरव जी की स्तुति और उनके दिव्य रूप का वर्णन होता है, जो भक्त के आस-पास एक अदृश्य सुरक्षा चक्र बना देता है। भैरव कवच को एक आध्यात्मिक कवच भी कहा जाता है जो इंसान को दुश्मनों से, बुरी नज़र से, भूत-प्रेत, तांत्रिक क्रिया और अनेक प्रकार के अशुभ प्रभाव से बचाता है। इसका पाठ करने वाले व्यक्ति के मन और शरीर दोनों पर इसका साकारात्मक असर पड़ता है।

कहते हैं कि जो व्यक्ति निश्चित नियम और श्रद्धा से भैरव कवच का पाठ करता है, उसके जीवन में हिम्मत, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही, भैरव जी की कृपा से उसकी रक्षा होती है और उसके रास्ते की कथाएँ धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं।

सरल शब्दों में समझे तो भैरव कवच एक ऐसा मंत्र-संग्रह है जो भक्तों के लिए एक दिव्य कवच की तरह काम करता है और हर प्रकार के दार, अंधकार और शुभ ऊर्जा से उपयोग सुरक्षित रखता है।

भैरव कवच हिंदी में – Kaal Bhairav Kavach in Hindi

ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥ 1

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥ 2

नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥ 3

भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥ 4

ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥ 5

रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥ 6

डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥ 7

पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥ 8

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥ 9

इति भैरव कवच संपूर्ण

भैरव कवच का महत्व और आध्यात्मिक शक्ति

हिंदू धर्म में काल भैरव को रक्षा और न्याय के देवता माना जाता है। भैरव कवच का पाठ एक साधक के जीवन में सुरक्षा का कवच बनाता है। इसका महत्व इस बात में है कि ये कवच व्यक्ति को भय, रोग, शत्रु और दुष्प्रभाव से रक्षा देता है।

भैरव कवच

जो व्यक्ति श्रद्धा और समर्पण के साथ इसका पाठ करता है, उसके जीवन में साहस, निर्भयता और आत्मविश्वास बढ़ता है।भैरव कवच से जीवन की कठिनाई के समय में इंसान को सहारा देती है और उसके रास्ते की रुकावटों को कम करती है।

भैरव कवच की आध्यात्मिक शक्ति

भैरव कवच के पाठ से सिर्फ शारीरिक रक्षा ही नहीं होती, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव भी होता है। ये कवच व्यक्तित्व के आदमी को शुद्ध और मजबूत बनाता है, उसे अंदर के डर, भ्रम और मोह से मुक्त करता है।

इसका पाठ करने से व्यक्ति के चारो तरफ एक आध्यात्मिक ढाल बन जाता है जो उसे नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत और अंधकार से बचाता है। साथ ही, भैरव कवच साधक को आत्म-विश्वास, धैर्य और साधना में स्थिरता प्रदान करता है।

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ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति भैरव कवच का पाठ निश्चित नियम और भक्ति के साथ करता है, उसपर हमेशा भैरव बाबा की कृपा बनी रहती है और उसके जीवन में शांति, रक्षा और दिव्य ऊर्जा का प्रवेश होता है।

भैरव कवच पाठ करने की विधि

भैरव कवच का पाठ करने के लिए शुद्ध मन और श्रद्धा सबसे पहला नियम है। इसके लिए कोई बड़ा मंडप या विशेष व्यवस्था की जरूरत नहीं है, लेकिन पवित्रता और समर्पण होना जरूरी है।

1. स्नान और शुद्धि – सुबह (4-6 बजे) के समय स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। पाठ के लिए आदमी और शरीर दोनों शुद्ध होने चाहिए।
2. भैरव बाबा का स्मरण – काल भैरव जी की मूर्ति या फोटो के सामने घी का दीपक, धूप और नैवेद्य (जैसे तिल, उड़द, इमरती या काले तिल) चढ़ाकर उनका आह्वान करें।
3. आसन और स्थान – पीठ के बल सीधे बैठ कर, एक साफ़ आसन पर ध्यान लगाकर पाठ करें। कोशिश करें कि स्थान शांत और पवित्र हो।
4. पाठ विधि – कवच को एकाग्रता के साथ उच्चारन करें। हर श्लोक में भैरव जी की रक्षा और कृपा का स्मरण करें। अगर कवच या मंत्र में कोई शब्द कहे तो धीरे-धीरे समझकर, भक्ति भाव से पाठ करें।
5. समापन – पाठ के बाद भैरव जी को प्रणाम करें, उनका आभार मनाएं और मन ही मन रक्षा और शक्ति की प्रार्थना करें।

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नियम रूप से भैरव कवच का पाठ करता है, उसकी रक्षा, ऊर्जा और भक्ति बढ़ती है और उसके जीवन में निर्भयता और शांति का प्रवेश होता है।

भैरव कवच से मिलने वाले लाभ

इस भैरव कवच का पाठ करने से या धारण करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा, और बुरी बाधाओं से रक्षा होती हैं जिससे आत्मविश्वास बढ़ता हैं, शत्रुओं पर विजय मिलती हैं और कार्य सिद्धि होती हैं यह स्वास्थ्य समृद्धि भैरव कवच का पाठ करने वाले भक्त को जीवन के तरीके के लाभ मिलते हैं। ये सिर्फ एक स्तोत्र नहीं बल्कि एक दिव्य रक्षा कवच है जो हर तरह से साधक की रक्षा करता है।

भैरव कवच

  1. भय से मुक्ति – जो व्यक्ति भैरव कवच का पाठ करता है, उसके जीवन से डर और आशंका दूर हो जाती है। वाह हर परिस्थिती में निर्भय और साहसी बन जाता है।
  2. दुश्मन और भूत-प्रेत से रक्षा – इस कवच का एक महत्व है कि ये व्यक्ति को शत्रु, जादू-टोना और भूत-प्रेत जैसे दुष्प्रभावों से सुरक्षा देता है।
  3. आर्थिक और सामाजिक समृद्धि – काल भैरव जी का आशीर्वाद पाने से जीवन में समृद्धि और उन्नति आती है। व्यावसायिक जीवन में सफलता मिलती हैं और आर्थिक समृद्धि बढ़ती हैं।
  4. रोग से मुक्ति और आरोग्य – इसका पाठ करने से शारीरिक रोग और मानसिक पीड़ा का प्रभाव कम हो जाता है। व्यक्तित्व में एक नई ऊर्जा और तंदुरुस्ती का अनुभव होता है।
  5. आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति – भैरव कवच व्यक्तित्व के अंदर आत्म-विश्वास, धैर्य और साधना की शक्ति को जगाता है। ये उससे जीवन के पाठ पर भी स्थिर बना रहता है।
  6. रुकावत और बंधन दूर होना – इस पाठ के प्रभाव से जीवन में आने वाली रुकावटें, बंधन और विपरीत परिस्थियां दूर हो जाती हैं।

भैरव कवच का जप कब और कैसे करना चाहिए

इस भैरव कवच का जाप सही समय और नियम के साथ किया जाए तो इसका फल और भी अधिक मिलता है।

जाप कब करना चाहिए

  • सुबह के समय (ब्रह्म मुहूर्त) – 4 बजे से 6 बजे के बीच पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है।
  • रात्रि के समय- भैरव जी रात के देवता भी कहे जाते हैं, क्योंकि रात के शांत समय में कवच का जाप करना भी लाभकारी होता है।
  • भैरव अष्टमी और अमावस्या – विशेष तिथियों पर कवच का पाठ करने से साधारण फल मिलता है।
  • नियमित दिनचार्य – जो व्यक्ति रोज या कम से कम प्रतिदिन एक बार कवच का पाठ करता है, उसके ऊपर भैरव बाबा की सदैव कृपा बनी रहती है।

जाप कैसे करना चाहिए?

  • शुद्ध हो कर साफ वस्त्र पहने और एक पवित्र और शांत जगह पर बैठ कर जाप करें।
  • काल भैरव जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक, धूप और प्रसाद चढ़ाकर उनका ध्यान करें।
  • भैरव कवच का पाठ एकता और भक्ति भाव के साथ करें। मन में सिर्फ भैरव बाबा का स्मरण हो।
  • जाप के समय कोशिश करें कि आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
  • पाठ के बाद भैरव जी को प्रसाद, जल या मदिरा (जो भैरव पूजा में प्रचलित है) समर्पित करके आरती करें।

इस प्रकार जो व्यक्ति समय और मर्यादा का ध्यान रख कर भैरव कवच पाठ का जाप करता है, उसकी रक्षा भैरव बाबा स्वयं करते हैं और उसका जीवन निर्भय और समृद्ध बन जाता है।

भैरव कवच पाठ से दूर होने वाली बाधाएँ

भैरव कवच को एक ऐसा रक्षा कवच माना गया है जो साधक के जीवन से हर तरह की बाधा और विपत्ति को दूर करता है। इसके पाठ से व्यक्ति अपने जीवन में चल रही कहानी को धीरे-धीरे खत्म होता हुआ महसूस करता है।

  1. शत्रुओं की बाधाएं – जो व्यक्ति बिना वजह आपके विरोध में खड़े होते हैं या शत्रु आपको परेशान करते हैं, भैरव कवच उनके प्रभाव को समाप्त कर देता है।
  2. रोग और शरीरिक पीड़ा – कई बार जीवन में लगता है बीमारी या अजीब से रोग लग जाते हैं, कवच का पाठ उन पीड़ाओं को काम कर देता है और आरोग्य प्रदान करता है।
  3. जादू-टोना और भूत-प्रेत – नकारात्मक ऊर्जा, जादू-टोना या भूत-प्रेत जैसे दुष्प्रभाव कवच के पाठ से मिट जाते हैं। ये एक दिव्य ढाल बनकर व्यक्ति को सुरक्षा देता है।
  4. आर्थिक और व्यवसायी रुकावट – नौकरी, व्यवसाय या धन-प्राप्ति में आने वाली रुकावतें धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं। भैरव बाबा का आशीर्वाद से सफलता का रास्ता खुल जाता है।
  5. मानसिक अशांति और भय – अंदर का डर, अशांति, या भ्रम जो इंसान को कमज़ोर बनाता है, वो कवच के पाठ से ख़तम हो जाता है। व्यक्ति एक नई ऊर्जा और शांति अनुभव करता है।
  6. गृहस्थी की समस्याएं – घर में लड़ाई-झगड़ा, अशांति या असमानताएं भी कम हो जाती हैं और परिवार में प्रेम और सुख-शांति का विकास होता है।

इस प्रकार भैरव कवच पाठ से व्यक्ति के जीवन को देखने वाली और अलौकिक दोनों प्रकार की बधाइयां दूर होती हैं और भैरव बाबा का रक्षा-चक्र हमेशा बना रहता है।

भैरव कवच पाठ में आवश्यक नियम और सावधानियाँ

भैरव कवच का पाठ बहुत शक्तिशाली माना जाता है, इसलिए पाठ करते समय कुछ नियम और सावधानियां जरूरी होती हैं।

आवश्यक नियम

  1. शुद्धि का ध्यान – पाठ से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और पवित्र मन से भैरव जी का स्मरण करें।
  2. समय का नियम – पाठ हमेशा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम के शांत समय में करना श्रेष्ठ है।
  3. नियमित पाठ – यदि संभव हो तो हर दिन या काम से कम भैरव अष्टमी के दिन पाठ करें।
  4. भक्ति और एकता – पाठ करते समय मन विचलित न हो, सिर्फ भैरव बाबा का स्मरण हो।
  5. आसन और दिशा – पाठ करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की या मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

सावधानियाँ

  1. मंत्र को उच्चरण करते समय गलती न करें – कवच के श्लोकों का सही उच्चारण करें। अगर कुछ लगे तो धीरे-धीरे सीखकर करें।
  2. पाठ को मज़ाक या लापरवाही से ना करें – ये एक पवित्र स्तोत्र है, इसलिए इसे हमेशा ज्ञान और श्रद्धा के साथ करें।
  3. मदिरापान, मांस आहार से दूरी – पाठ करने वाले व्यक्ति को पाठ के समय शुद्ध आहार और पवित्र जीवन शैली अपनी चाहिए।
  4. पवित्र स्थल का चुनाव – पाठ करते वक्त जहां शांत और स्वच्छ होनी चाहिए, जहां व्यक्ति का मन पूरी तरह एकाग्र हो सके।
  5. पाठ के बाद धन्यवाद – पाठ के बाद भैरव बाबा का आभार जरूर मनाएं और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।

इस प्रकार के नियम और सावधानियों का पालन करने से भैरव कवच का पाठ बहुत प्रभावशाली और सफल हो जाता है, और भैरव बाबा अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं।

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काल भैरव के प्रसिद्ध मंदिर

1. काल भैरव मंदिर, उज्जैन (मध्यप्रदेश)

उज्जैन का काल भैरव मंदिर सबसे प्रसिद्ध है, जहां भैरव जी को मदिरा का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है कि यहां के दर्शन से भक्त के सारे पाप कट जाते हैं। ये मंदिर शिवनगरी उज्जैन के अष्ट-भैरव में सबसे शक्तिशाली माना जाता है।

2. काल भैरव मंदिर, काशी (वाराणसी)

काशी के कोतवाल के रूप में प्रसिद्ध काल भैरव जी का ये मंदिर विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि काशी में प्रवेश करने वाले को पहले भैरव बाबा के दर्शन करने चाहिए। यहां आने से भक्तों की रक्षा और निर्भयता प्राप्त होती है।

3.भैरवगढ़ मंदिर, रायपुर (मध्यप्रदेश)

रतलाम स्थित भैरवगढ़ मंदिर अपनी दिव्य ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां भैरव जी भक्तों की सारी समस्याओं का समाधान कर देते हैं। भक्तों का विश्वास है कि यहां के दर्शन से आर्थिक और व्यावसायिक रुकावटें दूर होती हैं।

4. असी भैरव मंदिर, वाराणसी (उत्तरप्रदेश)

वाराणसी के अस्सी घाट के पास स्थित ये मंदिर “असि भैरव” के नाम से प्रसिद्ध है। यहां भैरव बाबा के दर्शन से भक्त को रोग-मुक्ति और मन को शांति मिलती है। विशेष रूप से साधक अपनी साधना को शक्ति और सिद्धि प्रदान करने के लिए यहां आते हैं।

5. स्वर्ण आकाश भैरव मंदिर, काठमांडू (नेपाल)

नेपाल के काठमांडू में स्थित “स्वर्ण आकाश भैरव मंदिर” भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां भैरव जी को आकाश भैरव के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि यहां आने से भक्तों के जीवन में समृद्धि, शौर्य और शक्ति का वरदान मिलता है।

6. कालभैरव मंदिर, ज्वालामुखी पीठ (अजमेर, राजस्थान)

अजमेर का ये मंदिर तांत्रिक साधना के लिए बहुत प्रसिद्ध है। काल भैरव जी की इस पीठ पर भक्तों को रक्षा और सिद्धि प्राप्त होती है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति विशेष इच्छा के साथ यहां साधना करता है, उसकी मनोकामना जल्दी पूरी होती है।

निष्कर्ष

भैरव कवच एक ऐसा दिव्य स्तोत्र है जो सिर्फ पाठ नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक रक्षा कवच है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को भैरव बाबा का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की हर प्रकृति की बधाइयां, रोग, दुश्मन और दुष्प्रभाव ख़त्म होते हैं।

काल भैरव जी को काशी का कोतवाल कहा गया है, जिनका कार्य अपने भक्तों की रक्षा करना और न्याय देना है। भैरव कवच का पाठ करने से भक्त के जीवन में निर्भयता, साहस, आर्थिक समृद्धि और मनुष्य की शांति प्रवेश होती है।

ये कवच साधक के अंदर की अंधकार शक्तियों को दूर करके आत्मा-विश्वास और दिव्य ऊर्जा से भर देता है। भैरव कवच के पाठ में नियम, पवित्रता और श्रद्धा बहुत महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति इसे निष्ठा और समर्पण के साथ करता है, उसपर भैरव बाबा की सदैव कृपा बनी रहती है।

आखिर में, कहना यहीं होगा कि भैरव कवच सिर्फ एक पथ्य पुस्तक का पाठ नहीं, बल्कि एक ऐसा दिव्य अनुभव है जो व्यक्ति को भय से मुक्ति देता है, रोग से रक्षा और जीवन में उन्नति प्रदान करता है। जो भी भक्त इस कवच को अपने जीवन में अपनाता है, उसके जीवन में शांति, रक्षा और समृद्धि निश्चित रूप से आती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या है भैरव कवच?
भैरव कवच भगवान काल भैरव को समर्पित एक शक्तिशाली आध्यात्मिक भजन है। यह शत्रुओं, भय, नकारात्मकता और बाधाओं के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
कब करना चाहिए भैरव कवच का पाठ?
सबसे अच्छा समय सुबह (ब्रह्म मुहूर्त) या रात को किसी शांतिपूर्ण स्थान पर है। भैरव अष्टमी और अमावस्या जैसे विशेष दिन अत्यधिक शुभ माने जाते हैं।
क्या कोई भी भैरव कवच का जाप कर सकता है?
हां, श्रद्धा और विश्वास वाला कोई भी व्यक्ति इसका पाठ कर सकता है। हालाँकि, इसे पवित्रता, ईमानदारी और अपनी आध्यात्मिक शक्ति के प्रति सम्मान के साथ किया जाना चाहिए।
भैरव कवच के क्या लाभ हैं?
भैरव कवच भय दूर करता है, शत्रुओं से रक्षा करता है, काले जादू और नकारात्मक ऊर्जाओं को बेअसर करता है, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
भैरव कवच का पाठ करते समय क्या कोई सावधानियां बरतनी चाहिए?
हाँ, व्यक्ति को स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए, मंत्रों का उच्चारण सावधानी से करना चाहिए, ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से बचना चाहिए और केवल भक्ति भाव से पाठ करना चाहिए आलस्य या अनादरपूर्वक नहीं।
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