गायत्री मंत्र को वेदों का सबसे पवित्र और ताकतवर मंत्र माना जाता है, यह मंत्र मन और आत्मा को सच्चा सुकून देने वाला हिस्सा है। इस को सुनते ही अन्तर-मन में शांति सी महसूस होती है, जैसे कोई हल्की सी हवा मन को छूकर निकल गई हो।
ये मंत्र बहुत पुराना है, वेदों में लिखा गया है, कोई गायत्री मंत्र पढ़ता है तो वो ईश्वर/माता से प्रार्थना कर रहा होता है कि हे प्रभु/हे माता , मेरी बुद्धि को सही राह दिखाओ, मुझे अच्छा सोचने और समझने की शक्ति दो।
इस मंत्र को माँ गायत्री का रूप भी कहा जाता है। कहते हैं, जैसे ही माँ अपने बच्चे को संभालती है, वैसे ही गायत्री मंत्र हमारे विचारों को संभालता है, हमें भीतर से मजबूत करता है।
आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में जहाँ हर किसी को तनाव हैं, उलझनें हैं — ऐसे समय में अगर कुछ है जो थोड़ी देर के लिए भी भीतर की खामोशी देती है, तो वो यही मंत्र है।
ये मंत्र हमें रोज़ याद दिलाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति हमारे अंदर ही है — बस उसे पहचानने और जगाने की ज़रूरत है।
गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र सबसे पहले ऋग्वेद में प्रस्तुत हुआ है। वेसे तो इस मंत्र के उद्धारकर्ता ऋषि विश्वामित्र और देवता सवितृ है, क्योंकि ऋषियों ने इसके बोल के मतलब से ही इस मंत्र की महिमा का पता कर लिया था।
यह मंत्र सुनने में जितना प्यारा लगता है उसका अर्थ उतना ही गहरा और सुन्दर है। पूरा मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नाः प्रचोदयात्।”
अब आइए इसका सरल अर्थ समझते हैं –
- “ॐ” – यह ब्रह्मांड के आरंभ का पहला वाक्य है। इसमें संपूर्ण सृष्टि की शक्ति छिपी है। जब हम ‘ॐ‘ का उच्चारण करते हैं, तो ऐसा लगता है मानो हम संपूर्ण ब्रह्मांड से जुड़ गए हों।
- “भूर् भुवः स्वः” – ये तीनों लोकों – पृथ्वी (भूर्), अंतरिक्ष (भुवः) और स्वर्ग (स्वः) को दर्शाते हैं। अर्थात, हम तीनों लोकों की शक्तियों को नमस्कार कर रहे हैं।
- “तत् सवितुर वरेण्यं” – हम उस तेजस्वी भगवान (सविता) की आराधना करते हैं, जो सर्वश्रेष्ठ हैं और सभी को जीवन प्रदान करते हैं।
- “भर्गो देवस्य धीमहि” – हम अपने भीतर दिव्य ज्योति (प्रकाश) को धारण करते हैं, जो अज्ञानता को दूर करती है।
इस मंत्र में कही भय, कही लालच नहीं है, सिर्फ प्रकाश और ज्ञान की तरफ बढ़ने की बात है। इसी कारण इस मंत्र को “ज्ञान की कुंजी” भी कहा जाता है।
इस मंत्र का असर धीरे-धीरे होता हैं, लेकिन जब होता हैं तो अंतर मन में एक अनोखी ऊर्जा या हम कह सकते है साहस महसूस होता हैं। जेसे की हमें कोई अन्दर से प्रोत्साहित कर रहा हो की सब कुछ ठीक हो जाएगा, बस तुम अपनी सोच पर नियंत्रण रखो।
गायत्री मंत्र में “गायत्री” कौन है?
गायत्री माता को लोग कई नामों से जानते हैं मंत्रों की देवी, ज्ञान की देवी, वेदों की माँ, और सूर्य की शक्ति। लेकिन असल में अगर दिल से समझें, तो गायत्री माँ एक दिव्य चेतना हैं — जो इंसान के अंदर बुद्धि, शुद्ध सोच और आत्मिक जागरूकता को जगाती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गायत्री माता ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री का ही एक रूप हैं, और कुछ जगह उन्हें सविता देव (सूर्य देव) की शक्ति भी कहा गया है। यानि, जो शक्ति सूरज की तरह रोशनी और ऊर्जा देती है, वही है गायत्री।
ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की, तो उन्हें एक ऐसी शक्ति की ज़रूरत थी जो पूरे ब्रह्मांड में ज्ञान और प्रकाश फैला सके — तब गायत्री माँ प्रकट हुईं। उनका जन्म प्रकृति और ब्रह्म ज्ञान की ऊर्जा से हुआ, कोई साधारण जन्म नहीं था।
उनका रूप कैसा है –
गायत्री माँ का वर्णन बहुत सुंदर और प्रतीकात्मक रूप में मिलता है:
- 5 मुख (पाँच मुखों वाली) – पाँचों दिशाओं में ज्ञान फैलाना।
- 10 भुजाएँ (हाथ) –जिनमें शंख, चक्र, कमंडल, वेद आदि होते हैं, जो ज्ञान, शक्ति और ध्यान के प्रतीक हैं।
- कमलावासिनी – वो कमल के आसन पर बैठी होती हैं, जो पवित्रता का प्रतीक है।
असली पहचान क्या है?
गायत्री माँ कोई बाहरी शक्ति नहीं है, वो हमारे अंदर की सोच को जगाने वाली चेतना हैं। वो हमें सिखाती हैं कि सही सोच, साफ़ मन और समझदारी से जिया गया जीवन ही सच्ची पूजा है।
जब हम गायत्री मंत्र बोलते हैं – तो हम असल में माँ गायत्री को याद करते हैं, उनसे ये प्रार्थना करते हैं कि – “माँ, मेरी बुद्धि को तेज़ बना दो, मुझे रास्ता दिखाओ, और मेरे भीतर का अंधेरा दूर करो।”
गायत्री माँ ना तो सिर्फ कहानी की देवी हैं, ना ही सिर्फ मंत्र का हिस्सा है, वो एक ऐसी शक्ति हैं जो इंसान को सोचने, समझने और सही राह पर चलने की ताकत देती हैं, और यही वजह है कि उन्हें वेदों की जननी (माता) और ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत माना गया है।
पौराणिक कथा
बहुत लंबे समय पहले की कहानी है। एक दिन ऐसा था जब ऋषि-मुनि गहरी ध्यान में बैठते थे, वेदों का अध्ययन करते थे और ईश्वर से सीधी संपर्क की कोशिश करते थे। उन्हीं में एक महान ऋषि थे – महर्षि विश्वामित्र, ये वही हैं जिनका नाम आपने रामायण में भी सुना होगा।
एक दिन महर्षि विश्वामित्र ध्यान में बैठे हुए थे, और सोच रहे थे कि ऐसा कोई मंत्र बनाएं जो सरल या सामान्य आदमी की भी काम आए, जो हर किसी को ज्ञान और शांति दे सके, वह समय तक मंत्र ज़्यादातर अधिकांश बड़े यज्ञों, हवनों और कठिन तप में ही प्रयोग होते थे। लेकिन महर्षि चाहते थे कि एक ऐसा मंत्र हो जो आसान हो, सबके लिए हो, और जिससे हर किसी की बुद्धि जाग सके, मन शांत हो और सही दिशा मिले।
उन्होंने बहुत समय ध्यान और साधना में बिताया। और फिर एक दिन, जब वो गहरे ध्यान में थे, उनके मन में कुछ पवित्र शब्द गूंजे — वही शब्द थे “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ”
जब उन्होंने इस मंत्र को पूरी तरह से अनुभव किया, तो उन्हें हुआ यह एहसास कि ये मंत्र साधारण नहीं हैं। ये तो अपने आप ईश्वर की कृपा से मिला ज्ञान का दीपक है। उन्होंने इस मंत्र को वेदों में लिखवाया, और तब से ये मंत्र “गायत्री मंत्र” के नाम से जाने लगे।
कहते हैं, जब उन्होंने पहली बार एक इस मंत्र का उच्चारण किया, तो वातावरण एकदम शांत हो गया। पेड़-पौधे, पक्षी, हवा — सब मानो सुनने लगे। और खुद ईश्वर ने इस मंत्र को “मंत्रों का राजा” कहकर स्वीकार किया।
इस मंत्र को “गायत्री” इसलिए नाम दिया गया है क्योंकि यह गायत्री छंद में है और इसकी अधिष्ठात्री देवी भी माँ गायत्री ही हैं। माँ गायत्री कोई दूसरी देवी नहीं, सविता (सूर्य) की ही रूप हैं, जो हमें तेज, बुद्धि और सही दिशा देती हैं।
यह कथा हमें सिखाती है कि गायत्री मंत्र कुछ साधारण मंत्र नहीं है यह उस इच्छा का फल है जिसे महर्षि विश्वामित्र ने सबके भले के लिए किया था, और यही कारण है कि आज भी हम इसे श्रद्धा से बोलते हैं।
जब भी कोई व्यक्ति सच्चे मन से गायत्री मंत्र का जाप करता है, तो मानो महर्षि विश्वामित्र की वो तपस्या, और माँ गायत्री का आशीर्वाद — दोनों उस पर बरसते हैं।
गायत्री मंत्र का महत्व
गायत्री मंत्र का महत्व हमे पुराणों के साथ हमारे पूर्वजो के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, रोज़ 5-10 मिनट इसका जाप करने से मन शांत होता है, सोच स्पष्ट होती है और दिन की शुरुआत एक पॉजिटिव एनर्जी के साथ होती है।
जैसे सुबह की चाय सुकून देती है, वैसे ही गायत्री मंत्र मानसिक संतुलन देता है। यह मंत्र न केवल पूजा-पाठ का हिस्सा है, बल्कि आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक शांति पाने का सरल तरीका भी है।
आध्यात्मिक महत्व:
- सद्बुद्धि की प्रार्थना: इस मंत्र में ईश्वर से केवल यह विनती की जाती है कि हमें सही दिशा में सोचने और समझने की शक्ति मिले।
- आत्म-सुधार का साधन: ये मंत्र हमें खुद को भीतर से बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
- सोच में सकारात्मकता: रोज़ इसका जाप नकारात्मक विचारों को कम कर, पॉजिटिव सोच बढ़ाता है।
- शांति और स्थिरता: तनाव, बेचैनी और चिड़चिड़ापन धीरे-धीरे कम होता है।
- घर का वातावरण बदलता है: जहां इसका नियमित जाप होता है, वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
वैज्ञानिक महत्व:
- 24 अक्षरों का प्रभाव: इस मंत्र के हर अक्षर दिमाग की खास नसों को तेज़ करता है, जिससे एकाग्रता और स्मृति बेहतर होती है।
- तनाव में कमी: खोज बताती हैं कि मंत्र के जाप से तनाव घटता है और दिमाग शांत होता है।
- ब्लड प्रेशर और हार्टबीट संतुलन: मंत्र की ध्वनि शरीर की प्राकृतिक लय को बैलेंस करती है।
- बच्चों में ध्यान केन्द्र बढ़ाता है: पढ़ाई में ध्यान न लगने की समस्या में ये मंत्र फायदेमंद साबित होता है।
- ध्वनि थैरेपी की तरह काम करता है: इसकी ऊर्जा दिमाग को शांत करने में मदद करती है।
गायत्री मंत्र के लाभ
गायत्री मंत्र ऐसा मंत्र है जिसे सिर्फ बोलने से ही मन हल्का लगने लगता है। पर असली बात ये है कि जब इसे नियम से, श्रद्धा से रोज़ बोला जाए, तो इसके इतने सारे फायदे होते हैं –
1. मन शांत और सोच साफ़ होती है
आजकल सबसे बड़ी परेशानी क्या है? तनाव, उलझन, बेचैनी, हम जहां भी हों -स्कूल, ऑफिस या घर दिमाग हमेशा उलझता है, ऐसे में जब तुम 5–10 मिनट बैठकर गायत्री मंत्र का जप करते हो, तो एक भीतर से शांति आती है। जैसे कोई कह रहा हो — “सब ठीक है, बस शांत हो जा। “तुम्हारा दिमाग रिलैक्स करता है और सोच धीरे-धीरे साफ़ होने लगती है।
2. निर्णय लेने की ताकत बढ़ती है
जब मन में पवित्रता आती है, तो क्या सही है और क्या नहीं, ये पहचानने की ताकत बढ़ती है। गायत्री मंत्र हमारी बुद्धि को तेज करता है। इसलिए जब कोई बड़ा या छोटा फैसला लेना हो, तो ये मंत्र सोच को संतुलित करता है और गलत फैसलों से बचाता है।
3. एकाग्रता और ध्यान की शक्ति बढ़ती है
बच्चों को पढ़ाई में मन नहीं लगता तो इसका बहुत बढ़िया उपाय है — गायत्री मंत्र। रोज़ इसका जाप करने से एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की ताकत अपने-आप बढ़ जाती है। इसलिए तो स्कूलों में भी इसे सुबह-सुबह ज़रूर बोला जाता है।
4. शरीर पर भी अच्छा असर पड़ता है
अब ये सिर्फ दिमाग की बात नहीं है। गायत्री मंत्र बोलने से सांस की गति नियंत्रित होती है, दिल की धड़कन सुनहरी होती है, और तनाव घटते लगता है। शरीर भी धीरे-धीरे आरामपूर्ण स्थिति में आ जाता है। कुछ लोगों को नींद नहीं आती है – उन्हें भी ये बहुत फायदेमंद है।
5. आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ती है
जब तुम रोज़ इस मंत्र को बोलते हो, तो एक सकारात्मक ऊर्जा अंदर से बनती है। फिर डर, घबराहट, बेचैनी जैसी चीज़ें धीरे-धीरे कम हो जाती हैं, और उसकी जगह लेता है — धैर्य, आत्मविश्वास और हिम्मत।
6. घर का माहौल भी बदलता है
जहां रोज़ इस मंत्र का उच्चारण होता है, वहां एक पवित्र और शांत वातावरण बनता है। घर में कम गुस्सा, कम बहस, और ज़्यादा अपनापन महसूस होता है। जैसे घर के अंदर कोई न दिखने वाली सकारात्मक रौशनी फैल गई हो।
निष्कर्ष
गायत्री मंत्र कोई दिखावे वाली चीज़ नहीं है। ना ही कोई बड़ा तामझाम है इसमें। ये बस दिल से जुड़ी एक साधारण-सी प्रार्थना है — जो इंसान की सोच, समझ और आत्मा तीनों को साफ कर देती है।
जब हम गायत्री मंत्र बोलते हैं तो हम किसी मूर्ति से नहीं, बल्कि उस शक्ति से जुड़ते हैं जो हर जगह है — सूरज की रोशनी, हवा की हलचल, और हमारे अंदर की ऊर्जा। हम भगवान से कहते हैं –
“हे प्रभु, मेरी बुद्धि को ऐसा बना दो कि मैं जीवन की सही राह पकड़ सकूं। मुझे समझ दो, सच्चाई दिखाओ और अंदर की अंधकार को दूर कर दो।”
इस मंत्र की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें कोई स्वार्थ नहीं है। ना हम दौलत मांगते हैं, ना कोई चमत्कार, हम सिर्फ साफ़ सोच, सच्चा दिल और अच्छी समझ मांगते हैं।
आज के दौर में जहां हर कोई जल्दी में, जहां मन हर वक्त परेशान रहता है — वहां ये छोटा-सा मंत्र थोड़ी देर के लिए ही सही, पर ठहराव देता है।
अगर रोज़ 5 से 10 मिनट भी आप इस मंत्र को बोलो या सुनो तो धीरे-धीरे दिमाग शांत होने लगता है, सोच सही दिशा में जाती है, और अंदर एक सुकून बनने लगता है।
इसलिए अगर आप कभी भी ज़िंदगी में अटक जाओ, मन भारी लगे, या रास्ता समझ न आए तो बस शांत बैठकर गायत्री मंत्र बोलो। शब्द तो वही होंगे, पर असर हर दिन नया होगा।
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