हिन्दू धर्म में सभी त्यौहार अपने आप में ही अलग महत्व रखते है। हमारे भारत देश में कई सारे त्यौहार आते व जाते रहते है। इसी प्रकार आज हम बात करने वाले है नाग पंचमी 2025 के बारे में सभी प्रकार की जानकारी देने वाले है।
आइये हम नाग पंचमी के बारे में तथा इसके शुभ मुहूर्त के बारे में जानेंगे। 29 जुलाई 2025 को नाग पंचमी की पूजा के लिए 02 घंटे 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है।
नागपंचमी की पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहने वाला है। नाग पंचमी हिन्दुओ का सबसे प्रमुख त्योहार है।
नाग पंचमी का त्यौहार सावन के महीने में मनाया जाता है। नाग पंचमी की दो तिथियां होती है पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस दिन नाग देवता यानी सर्प की पूजा की जाती है।
नाग देवता पर इस दिन दूध चढ़ाया जाता है। कई जगहों पर नाग देवता को दूध पिलाने की भी प्रथा होती है, लेकिन नाग को दूध पिलाना उसके लिए काफी हानिकारक भी हो सकता है।
इस पावन पर्व के शुभ अवसर पर वाराणसी में नाग कुआँ नाम की जगह पर काफी बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इसके पीछे भी एक लोककथा है जिसके बारे में हम आपको पूर्ण रूप से बताएँगे।
ऐसा कहा जाता है कि तक्षक गरुड़ जी से बचकर संस्कृति की शिक्षा लेने हेतु बालक रूप में काशी में रहने आये थे। इसके बारे में गरुड़ जी को जानकारी हो गयी और उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया किन्तु अपने गुरु जी के प्रभाव के कारण गरुड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान में दिया।
नाग पंचमी 2025: तिथि व शुभ मुहूर्त
तिथि: 29 जुलाई 2025
पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025 को 11:24 PM से
पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025 को 12:46 AM तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: 29 जुलाई 2025 को सुबह, 05 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक
नाग पंचमी के रीति रिवाज और परंपरा
हिन्दू धर्म में पशु – पक्षियों, वनस्पतियों और सम्पूर्ण प्रकृति के साथ आत्मिक सम्बन्ध बनाने का प्रयास किया जाता है। हमारे भारत देश में गाय, बैल और कोयल की भी पूजा की जाती है।
इसके अलावा हिन्दू धर्म में एक कोकिला व्रत भी होता है इसमें कोयल देखे और उसके स्वर को सुने बिना भोजन नहीं किया जाता है। फिर वृषभोत्सव के समय बैलों की पूजा की जाती है। वट सावित्री व्रत के समय बरगद के पेड़ की भी पूजा की जाती है।
जब हम गाय, वृक्ष, और कोयल की पूजा करने के समय उनके साथ आत्मीयता का सम्बन्ध जोड़ने का प्रयास करते है तो उसके पीछे कारण यही होता है कि वे हमारे किसी न किसी तरह से उपयोगी है।
अगर हम सांप की बात करे तो हमारी किसी तरह से उपयोगी नहीं है। इसके विपरीत लोगों को सांपों से डर लगता है और यदि सांप क्रोध में हो तो आपको काट भी सकता है जिससे आपके प्राण भी जा सकते है।
जबकि अगर देखा जाए तो सांप भगवान शंकर के गले में विराजमान होता है। इसलिए वह भी पूजनीय योग्य है। आर्य समाज के लोगों ने नाग को देवता के रूप में स्वीकार कर उनके हृदय की उदारता के हमें दर्शन करवाए है।
विभिन्न समूहों के उपासना के तरीके भी अलग – अलग होते है। यदि इस फर्क से होने वाले विवाद को यदि हटा दिया जाए और मानव यदि वेदों के बारे और ज्ञान ले तभी वो इन भव्य विचारों को अपना सकता है। आर्य लोगों का इन पर अखंड विश्वास है।
भारत देश में सर्प पूजन
जैसा की आप सभी लोगो को पता ही है कि भारत एक कृषि प्रदान देश है और यह सांप खेतों की रक्षा करते है। खेतों में अलग – अलग जीव जैसे चूहे व अन्य जीव जन्तुओ जो फसल को ख़राब कर सकते है, उनको खाकर फसल को ख़राब होने से बचा लेता है। सांप द्वारा हमें कई मूक सन्देश भी दिए जातें है। जिन्हें समझने अथवा देखने के लिए हमारे पास शुभग्राही दृष्टि का होना आवश्यक है।
जितना लोगों ने सांपो के बारे में जो बातें फेला रखी है वो पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। सांप सामन्यात: किसी भी जीव या मनुष्य पर तब तक हमला नहीं करता है। जब तक उसे अपने सामने वाले से कोई खतरा ना हो।
कुछ लोग केवल अपने डर की वजह से सांप के बिना कुछ नुकसान पहुँचाए ही उसपर हमला कर देते है। हमले से खुद को बचाने के लिए ही वह दूसरों को काटता है। सांपो को सुगंध अत्यंत प्रिय होती है जिसमे से खासकर चंपा के फूलों के पास ही वे बैठे रहते है।
इसके अलावा केवड़े के वन में भी सांपो को देखा जा सकता है। सांप बिना किसी वजह से लोगों को नहीं काटता है। यदि उसे आपसे खतरा है तभी वो आप पर हमला कर सकता है।
सांप बिना किसी वजह अपनी वो शक्ति जिसे उसने कई वर्षो में प्राप्त किया हो यानी उसका विष। वो उसे आप पर व्यर्थ नहीं करेगा। इससे हमे भी यही सीख मिलती है कि हमे भी अपनी ऊर्जा को किसी पर भी व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
नाग पंचमी की पूजन विधि
नाग पंचमी 2025 का त्यौहार हिन्दुओ के लिए काफी महत्व रखता है। यह त्यौहार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के नाग यानी सांपों की पूजा की जाती है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से नाग पंचमी की पूजा की विधि क्या – क्या होती है।
- नित्य के कार्य को पूर्ण करने के पश्चात जिस स्थान पर आपको पूजा करनी है उसे साफ़ सुथरा रखे।
- पूजा वाले स्थान पर उचित दिशा का चयन करे और वह लकड़ी का पाट या चौकी लगा दे।
- अब उस चौकी के ऊपर नाग का चित्र या मिट्टी की मूर्ति को वह बैठाए।
- अब उस तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से स्नान करवाए। फिर उन्हें नमस्कार करे तथा ध्यान करे।
- इसके पश्चात हल्दी , चावल , कुमकुम और फुल भगवान को अर्पित करते है और पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करे।
- उसके बाद कच्चे दूध में चीनी और घी मिलाकर नाग की प्रतिमा को अर्पित करते है।
- पूजा करने के बाद में नाग देवता की आरती उतारी जाती है।
- पूजा को पूर्ण कर लेने के पश्चात नागपंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।
- पूजा के पश्चात दान आदि देने के बाद ही उपवास का पारण करे।
अष्टनाग पूजा
पंचमी तिथि के देव नाग है इसलिए नाग पंचमी के अवसर पर पूरे 8 नागों की पूजा की जाती है। 8 नागों के नाम निम्न है : 1. वासुकी 2. अनन्त 3. पद्म 4. महापद्म 5. तक्षक 6. कुलीर 7. कर्कट व 8. शंख।
इन सभी के साथ वासुकी की बहन मनसा देवी और उनके पुत्र आस्तिक मुनि की भी पूजा की जाती है। इनके साथ में बलराम जी की माँ रोहिणी और सर्पों की माता सुरसा की भी वंदना की जाती है।
नागपंचमी व्रत
अगर आप इस दिन व्रत करने के इच्छुक है तो चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करे और पंचमी के दिन उपवास रखे और शाम को अन्न ग्रहण करें।
यदि दुसरे दिन पंचमी में तीन मुहूर्त कम हो या फिर पहले दिन तीन मुहूर्त से कम रहने वाली चतुर्थी से वह युक्त हो तो पहले ही दिन ये व्रत कर लिया जाता है।
इसका तात्पर्य यही है कि चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास रखे और पूजा आदि कार्यो को ख़त्म करके ही रात्रि में ही अपना उपवास खोले व भोजन ग्रहण करे।
नाग पंचमी के दिन ध्यान देने योग्य बातें
हिन्दू धर्म के लोग अपने त्योहारों के बारे में सारी जानकारी होती है लेकिन बहुत से ऐसे लोग है जो इसके बारे में नहीं जानते होंगे तो आज हम आपको ऐसी बातें बताएंगे जिनका यदि आप ध्यान रखते हो तो आप पर भी नाग देवता की असीम कृपा प्राप्त होगी तो ऐसी बातें जिनका आपको पूजा और व्रत करते समय ध्यान रखना है वो निम्न है:
- नाग पंचमी के दिन व्रत – उपवास करना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी नाग पंचमी के दिन उपवास करता है। उसे कभी कभी सांप द्वारा नहीं काँटा जाता है। इस बात का ख़ास ध्यान रखे कि यदि आप किसान है तो इस दिन खेती बिलकुल भी न करे।
- नागपंचमी के दिन नाग देवता को दूध , मिठाई और पुष्प जरूर अर्पित करें। इस दिन पेड़ो को काटना भी सख्त मना होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि नाग पंचमी के दिन पेड़ो को काटने से सांपो को चोट लग सकती है क्यूंकि सांप अक्सर पेड़ो में रहते है।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु भारी हो तो उसे नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सुई – धागे का इस्तेमाल करना भी अशुभ माना जाता है।
- नाग देवता को दूध चढ़ाते समय दूध पीतल के लोटे से नहीं बल्कि तांबे के लोटे से चढाना चाहिए और इस दिन धारदार व नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने बचना चाहिए।
नाग पंचमी 2025 का महत्व
हिन्दू ग्रंथों की मान्यता के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण छोटे थे तो वे यमुना नदी के तट पर खेल रहे थे। तब उनकी गेंद पेड़ की झाड़ियो में आकर फस गयी और जब उन्होंने इसे निकलने की कोशिश की तो वे फिसल कर नदी में गिर गये। तभी कालिया नाग ने उन पर हमला कर दिया किन्तु भगवान ने बहुत बहादुरी से उनका सामना किया।
यह जानने के बाद की कृष्ण कोई साधारण बालक नही है। कालिया नाग ने श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और दोबारा किसी को भी परेशान ना करने का वचन दिया। इसलिए तभी से नागपंचमी के दिन नागो को पुजा जाता है।
यह त्यौहार हर राज्य में अलग – अलग तरीके से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में निंद्रा में पड़े कोबरे को घर लेकर दान और कपड़े मांगने के साथ छुट्टी मनाई जाती है।
केरल में भक्त खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को सांप के काटे जाने से बचने के लिए लोग धातु और मिट्टी की मूर्तियों की पूजा कर रहे थे।
लोग भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए नागो की पूजा करते हैं। ऐसा इसलिए है क्यूंकि शिव जी भी नागो से प्रेम करते थे। इस दिन उपासको को मिट्टी खोदने से बचने के लिए कहा जाता है।
निष्कर्ष
हमने इस आर्टिकल के माध्यम से नाग पंचमी 2025 के बारे में आपको हर एक चीज़ पूर्ण रूप से बताने की कोशिश की है। नागपंचमी का इतिहास, शुभ मुहूर्त और दिनांक आदि के बारे में भी आपको बताया गया है।
हमने इस आर्टिकल कुछ ऐसी बातों के बारे में भी बताया जिसका आपको नाग पंचमी 2025 अखण्ड रामायण पाठ पूजन सामग्री वाले दिन ध्यान रखना होगा।
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