रुद्राभिषेक पूजा एक ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है जो मन से किया जाए तो उसका असर अंतरात्मा तक पहुंचता हैं| हिन्दू धर्म में महादेव (शिव जी) को संघारक और सृजनकर्ता दोनों रूप में माना जाता हैं|
महादेव को प्रसन्न करने के लिए यह पूजा की जाती हैं| जब हम शिवलिंग पर दूध, जल, शहद, चीनी और घी (पंचामृत) से अभिषेक करते हैं तो वह सिर्फ पूजा की प्रक्रिया नही होती हैं, हमारी सच्ची भक्ति का भाव होता हैं|
इस पूजा से मन की अशांति दूर होती हैं और आंतरिक शान्ति उतपन्न होती हैं| रुद्राभिषेक पूजा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता हैं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता हैं|
मान्यताओं के अनुसार रुद्राभिषेक ग्रहों के बुरे प्रभाव को भी शांत करता हैं , रोगों और बीमारी से छुटकारा पाने में और व्यक्ति के पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता हैं| इससे हमारी विभिन्न मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं जेसे – धन, संपत्ति, संतान सुख की प्राप्ति आदि|
यह पूजा केवल विधि विधान नहीं, बल्कि महादेव (शिव जी) से एक भावनात्मक जुड़ाव हैं, रुद्राभिषेक वो एहसास हैं जो हमें महादेव (शिव जी) के और करीब ले जाता हैं|
रुद्राभिषेक पूजा क्या होती हैं?
रुद्राभिषेक एक बहुत ही पवित्र और आध्यात्मिक पूजा हैं जो महादेव (शिव जी) के शिवलिंग रूप को अभिषेक करके की जाती हैं| “रूद्र” महादेव (शिव जी) के नामों में से एक हैं जो विशेष रूप से उनकी विनाशकारी और परिवर्तनकारी शक्ति से जुड़ा हैं, “अभिषेक” शिवलिंग को पंचामृत आदि जैसे तरल पदार्थों से स्नान करने या नहलाने की रसम को कहा जाता हैं|
इस पूजा में जल, दूध, दही, शहद, और चीनी (पंचामृत) से शिवलिंग को स्नान कराया जाता हैं|
“शिवलिंग” भगवान शिव का एक प्रतीक है, जो निराकार ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करता हैं| यह एक गोलाकार या अंडाकार आकार का पत्थर या अन्य सामग्री से बना होता हैं, जो एक आधार (पीठम या पीठ) पर स्थापित होता हैं| शिवलिंग को भगवान शिव के साकार रूप, यानी भगवन शंकर के साथ -साथ निराकार रूप का भी प्रतीक माना जाता हैं|
“शिवलिंग” को भगवन शिव का प्रतीक माना जाता हैं, और इसकी पूजा हिन्दू धर्म में की जाती हैं, यह माना जाता हैं की शिवलिंग ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का प्रतीक हैं और इसका कोई अंत या शुरुआत नहीं हैं, शिवलिंग की पूजा विभिन्न रूपों में की जाती हैं|
पूजा करते समय मंत्र पढ़े जाते हैं – जैसे महामृत्युंजय मंत्र ;
॥ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
इसका अर्थ है, “हम त्रिनेत्र (तीन आँखों वाले) भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सुगंधित हैं और पोषण करने वाले हैं। जैसे फल (ककड़ी) डाली के बंधन से अलग हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएँ, अमृतत्व को प्राप्त करें।
यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसे “मृत्युंजय मंत्र” भी कहा जाता है। इसका जाप करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है, स्वास्थ्य लाभ होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
मंत्र का अर्थ:
- ॐ: यह एक पवित्र ध्वनि है, जो ब्रह्मांड की शुरुआत और अंत का प्रतीक है।
- त्र्यम्बकं: तीन आँखों वाले (भगवान शिव)
- यजामहे: हम पूजा करते हैं
- सुगन्धिं: सुगंधित
- पुष्टिवर्धनम्: पोषण करने वाले, शक्ति देने वाले
- उर्वारुकमिव: जैसे ककड़ी
- बन्धनान्: बंधन से
- मृत्योर्मुक्षीय: मृत्यु के बंधन से मुक्ति
- माऽमृतात्: हमें अमरता प्राप्त हो
इस पूजा से महादेव जल्द ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तो पर कृपा बरसाते हैं, साथ ही यह पूजा मन, शरीर और घर के माहौल को भी शांत और संतुलित करती हैं|
रुद्राभिषेक पूजा का महत्व
रुद्राभिषेक पूजा का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है, विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा में | यह भगवान शिव के रूद्र रूप का अभिषेक हैं, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने और उन्हें विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करने के लिए किया जाता हैं |
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक पूजा को सबसे प्रभावशाली उपाय माना जाता है।” “इस पूजा का विशेष महत्व श्रावण मास (सावन), महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और प्रदोष व्रत जैसे पावन अवसरों पर होता है।
इसके अलावा अगर जीवन में कोई बड़ी परेशानी चल रही हैं, जेसे बार बार काम बिगड़ना, बीमारी, नौकरी या घर में तनाव – तो भी इस पूजा से राहत मिलती हैं|
अगर कुंडली में काल सर्प दोष, पितृ दोष या शनि की नज़र या कुप्रभाव हो, तो भी रुद्राभिषेक से शान्ति मिलती हैं| यह पूजा सिर्फ शिव जी से कुछ मांगने के लिए नहीं, बल्कि मन और आत्मा की सफाई के लिए भी की जाती हैं|
- भगवान शिव की कृपा : रुद्राभिषेक भगवान को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली तरीका हैं, जिससे भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती हैं|
- मनोकामना की पूर्ति : रुद्राभिषेक से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, चाहे वे धन, समृद्धि, स्वास्थ या अन्य इच्छाएं हो|
- पापों से मुक्ति : रुद्राभिषेक से व्यक्ति के सभी पिछले जन्मों के सभी पापों से भी मुक्ति पा सकते हैं|
- ग्रह दोषों से मुक्ति : रुद्राभिषेक से ग्रह दोषों को शांत करता हैं और जीवन में आमे वाली बाधाओं को दूर करने में भी सहायक होता हैं|
- सुख शांति और समृद्धि : रुद्राभिषेक से जीवन में और परिवार में सुख, शान्ति और समृद्धि आती हैं|
- शत्रुओं पर विजय : रुद्राभिषेक शत्रुओं को पराजित करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में भी मदद करता हैं|
रुद्राभिषेक के प्रकार :
रुद्राभिषेक कई प्रकार के होते हैं, जिनमे से कुछ मुख्य हैं;
- जलाभिषेक – इसमें शिवलिंग पर शुद्ध जल से अभिषेक किया जाता हैं|
- दुग्धाभिषेक – इसमें शिवलिंग पर दूध से अभिषेक से किया जाता हैं|
- घ्राताभिषेक – इसमें शिवलिंग पर घी से अभिषेक किया जाता हैं|
- शेह्दाभिषेक – इसमें शिवलिंग पर शहद से अभिषेक किया जाता हैं|
- पंचाम्रिताभिषेक – इसमें द्दोध, घी, दही, शहद और शक्कर के मिश्रण से अभिषेक किया जाता हैं|
पोराणिक कथाएँ
रावण और शिवलिंग की कथा
रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था, वह शिवजी को प्रसन्न करना चाहता था ताकि उसे अपार शक्ति का वरदान मिले|
एक बार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया, तभी शिवजी ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबा दिया और रावण का हाथ उसके नीचे फंस गया।
रावण दर्द में भी भगवान शिव की स्तुति करता रहा और उनका अभिषेक अपने ही रक्त से करता रहा | इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मुक्त किया और उसे भ्रमांड में सर्व शक्तिशाली होने का वरदान दिया|
चंद्रदेव को श्राप से मुक्ति
चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, जिससे उसकी चमक शीण होने लगी| चंद्रदेव ने रुद्राभिषेक पूजा की और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया, शिव जी ने प्रसन्न होक उन्हें श्राप से मुक्ति दी| इसलिए चंद्रदोश या ग्रह बाधों में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता हैं |
रुद्राभिषेक पूजा की सामग्री
रुद्राभिषेक करते समय सबसे पहले मन को शांत करना ज़रूरी होता हैं, और फिर पूरे भाव से भगवान् शिव का स्मरण करते हुए सामग्री को सजाना चाहिए, पूजा की हर वस्तु का अपना ख़ास महत्व होता हैं|
जब सच्ची श्रद्धा के साथ सही सामग्री से अभिषेक किया जाता हैं तो उसका असर और भी शक्तिशाली होता हैं, इसलिए ज़रूरी हैं की सभी सामग्री समय से पहले तैयार कर ली जाएं|
- दूध
- दही
- घी
- शहद
- गंगाजल
- बेलपत्र (तीन पत्तो वाला)
- धतुरा
- आंकडें का फूल
- कपूर
- नारियल
- दीपक
- अगरबत्ती
- हल्दी
- चंदन
- रोली
- अक्षत
- ताम्बें का लोटा
- पूजा की थाली
- शिवलिंग (अगर घर पे हो)
- एक लाल साफ़ कपड़ा
- एक आसन बेठने के लिए
रुद्राभिषेक पूजा विधि
इस पूजा की शुरुआत बहुत शुद्धता और विधि विधान से होती हैं, रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा विधि हैं| इसमें शिवलिंग का अभिषेक विभिन्न पवित्र द्रव्यों से किया जाता हैं, जेसे पंचामृत से स्नान और मंत्रो का जाप भी किया जाता हैं|
कैसे होती हैं रुद्राभिषेक की पूजा?
1. तैयारी
- सबसे पहले स्नान करके,हिंदी पूजा स्थल (शिवलिंग) को साफ़ करें|
- गणेश जी और नंदी की प्रतिमा स्थापित करें|
- एक कलश में जल भरकर, उस पर स्वास्तिक और मंगल कलश का चित्र या चिन्ह बनाएं|
- कलश में सुपारी, नारियल, पंचरतन, सिक्के, अक्षत, रोली, चावल, चन्दन, लाल धागा आदि रखें|
- शिवलिंग को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं|
2. अभिषेक
- शिवलिंग पर क्रमश; शहद, गंगाजल, दूध, दही, घी,पंचामृत, चन्दन, तिल, धान, हल्दी, बेलपत्र, कुमकुम, कमल के फूल, आंकडें के फूल, शमी के पत्ते|
- प्रत्येक द्रव्य अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें|
- इसके अतिरिक्त, महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप कर सकते हैं|
3. पूजा
- भगवान शिव को सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाएं|
- पान का पत्ता, सुपारी, बेलपत्र, अक्षत के फूल, रोली, मौली, आंकड़े के फूल, भांग, जनेऊ , धतुरा, और भस्म चढ़ाएं|
- दीपक और धूपबत्ती जलाएं|
- शिव परिवार के सहित समस्त देवी-देवताओं की पूजा आराधना किजीयें|
- भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं|
- अंत में, आरती करें और शिव जी से और समस्त देवी देवताओं से प्रार्थना करें|
4. विसर्जन
- रुद्राभिषेक के जल को पूरे घर में छिड़के और भोग प्रसाद सभी को बांटें और खुद भी ग्रहण करें|
- इसके बाद ब्राह्मण भोज एवं कन्या भोज भी कराए|
रुद्राभिषेक करने के धार्मिक अनुष्ठान
रुद्राभिषेक पूजा सिर्फ अभिषेक करने तक सीमित नहीं होती हैं, इसमें कुछ ख़ास पाठ और स्तुति भी की जाती हैं, जो शिवजी को बोहत प्रिय हैं:
मुख्य अनुष्ठान:
- रुद्रपाठ – ये यजुर्वेद से लिया गया हैं, जिससे माहौल पवित्र हो जाता हैं|
- महामृत्युंजय मंत्र – रोगों से मुक्ति और आयु वृद्धि के लिए पढ़ा जाता हैं|
- शिव सहस्त्रनाम – शिवजी के 1000 नामों का जाप होता हैं|
- शिव तांडव स्त्रोतम – शिव के रोद्र रूप की स्तुति हैं, जो मनन में ऊर्जा बढ़ाती हैं|
- आरती और भजन – पूजा के अंत में शान्ति और भक्ति का अनुभाव होता हैं|
इन अनुष्ठानों से मनन शांत होता है, और घर में सकरात्नक ऊर्जा बनी रहती हैं|
रुद्राभिषेक के लिए ऑनलाइन पंडित बुकिंग
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पूजा के लिए pandit जी स्वयं सम्पूर्ण पूजा सामग्री लेकर आएँगे या नहीं – उस कीमत में पूजा सामग्री, पण्डित जी का आवास और भोजन की व्यवस्था भी शामिल होती हैं|
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रुद्राभिषेक पूजा के लाभ
भगवान शिव की अराधना सदा ही फलदायी मानी गयी हैं, लेकिन रुद्राभिषेक विशेष रूप से एक ऐसी विधि हैं जो जीवन के हर शेत्र में सकारात्मक असर डालती हैं|
- अगर मन बार बार बेचैन रहता हैं या तनाव, चिंता घेरे रहती हैं तो इस पूजा से मन शांत होता है और सोचने की ताकत बढती हैं|
- जो लोग लम्बे समय से बीमार है या कमज़ोरी महसूस करते हैं, उन्हें यह पूजा करवानी चाहिए| महामृत्युंजय मंत्र से शरीर में नयी ऊर्जा आती हैं|
- घर या जीवन में अगर बार बार परेशानियां आ रही है, डर या बाधा महसूस हो रही हैं – तो रुद्राभिषेक से माहौल शुद्ध और सकारात्मक होता हैं|
- अगर काम में रुकावट आ रही हो या आर्थिक तंगी बनी रहती हो तो यह पूजा करने से धीरे धीरे रास्ते खुलने लगते हैं और बेकत आती हैं|
- अगर किसी की कुंडली में ग्रहों का असर हो, जेसे काल सर्प दोष या पितृ दोष तो रुद्राभिषेक से वह भी शांत होता हैं|
- यह पूजा हमारे अन्दर की बुराइयों को दूर करती हैं और आत्मा को हल्का करती हैं, इससे मोक्ष (आध्यात्मिक मुक्ति) की और रास्ता खुलता हैं|
निष्कर्ष:
रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शक्तिशाली अनुष्ठान हैं| यह न केवल आध्यात्मिक शुद्धि और मुक्ति प्रदान करता हैं, बल्कि भक्तों की भौतिक इच्छाओं को भी पूरा करता हैं, जैसे की धन, स्वास्थ और समृद्धि |
रुद्राभिषेक के माध्यम से भक्त और भगवान शिव के साथ एक गहरा सम्बन्ध स्तापित करता हैं| रुद्राभिषेक एक गहन अनुष्ठान है जो भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण का प्रतीक हैं| यह ना केवल आध्यातमिक लाभ प्रदान करते हैं, बल्कि भक्तों की इच्छाओं को भी पूरा करते हैं|
इसलिए रुद्राभिषेक को श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए ताकि भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त प्राप्त हो सकें और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकें|